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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग ६

उसकी वो रात मां को याद करते करते कट गई । और ना जाने कब उसकी आंख लगी और वो सौ गई। अगली सुबह उसकी आंख घंटी से बजी जो दादी मन्दिर मै बजा रही होती है। उसने दीवार पर टंगी घड़ी में समय देखा और घबरा कर बिस्तर से उतरती हुई कहती ।

 
ओह राम जी। आज तो बोहोत देर हो गई कितने काम है आज करने को घर भी साफ करना है । और मंजू के यहां भी जाना है। ये कहती हुई वो गुसलखाने मै चली जाती हैं। नहा धोकर कपड़े पहन कर वो घर के मन्दिर जाती है । और प्रार्थना कर के बाहर आती।

उसने देखा की उसके पिताजी अभी तक सो रहे होते है। वो पास जाकर उनके पास बैठती और उनसे अब तक इस तरह लेटे रहने की वजह पूछती। कुछ नही बेटा बस थोड़ी थकान है सोच रहा हू आज थोड़ा देर से जाऊंगा खेत पर । उठने को दिल नही कर रहा है। दुर्जन कहता है।

अंजली माथे पर हाथ रखते हुए कहती है बुखार तो नही है आपको । लगता है सिर्फ थकान है खेत पर काम करने की । आज खेत पर मत जाना । और मै भी कहीं नहीं जा रहीं आप के लिए काढ़ा बनाती हूं आप को आराम मिलेगा । 

लेकिन आज तो तेरी दोस्त की सगाई है वहा नही जाना । दुर्जन कहता है।

आप से बढ़कर कोई नही मेरे लिए । अंजली कहती है आप पहले सही हो जाए फिर देखा जाएगा । ओर ये कह कर वो रसोई में काढ़ा बनाने चली जाती है।

रसोई से, अंजली कहती है दादी चाय बना रही हू क्या आप के लिए बनाऊं। शुक्र ही किसी को मेरी चाय का तो खयाल आया वरना मैं खुद ही रसोई में जाकर बनाने वाली थी। अरे अम्मा कैसी बातें करती हो तुम , दुर्जन कहता है।

अंजली चाय और काढ़ा बना कर बाहर लाती हैं। ओर अपने पिता को पिलाती हैं। तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी जाकर देखा तो एक बच्चा जिसे मंजू ने अंजली को बुलाने के लिए भेजा होता है । अंजली उसके साथ जाने को मना करती है तभी दुर्जन कहता है। जा तू उसके साथ चली जा मुझे बस थोड़ी थकान है काढ़ा पी कर थोड़ा आराम करूंगा तो ठीक हो जायेगा । अच्छा पिताजी मै दोपहर का खाना बना कर जाती हूं ताकी आप दोनों को कोई परेशानी ना हो।


अंजली रसोई में जाकर दोपहर के लिए दाल , सब्जी और रोटी बना कर चूल्हे पर रख दादी से कहती दादी जब भूख लगे खा लेना सारा खाना बना दिया है मैने। ये कहकर वो तैयार होने के लिए अपने कमरे मैं चली जाती है ।१० बजे होते है घड़ी मै।

 
अंजली दादी का आशीर्वाद ले कर चली जाती है । उसके पिता को नींद आ जाती है।

अंजली मंजू के घर जा कर उस की मां से मंजू का पूछती। बेटा वो ऊपर छत पर अपनी मामा की लड़की के साथ है। मंजू की मां उससे कहती।

मंजू ऊपर सीडीओ से छत पर जाती है। मंजू उसे देखते ही मिल गई आपको फुरसत हमारे घर आने की । यार मंजू में तो सुबह सवेरे ही उठ गई थी लेकिन आज पिता जी कुछ बीमार लग रहे थे । शायद खेत पर काम की वजह से बुखार आ गाया था उनको । इस लिए उनके और दादी के लिए दोपहर का खाना बना रही थी। और पिताजी को काढ़ा पिलाकर सुला दिया। थोड़ा आराम करेंगे तो ठीक हो जाएंगे।

भगवान जल्दी तंदरुस्त करे काका को । मंजू कहती है।
अंजली और शाम की सारी तैयारी हो गई या नही क्या पहने गी आज शाम को। राकेश की मां का अभी फोन आया था मम्मी के पास वो ही शाम को साड़ी लेकर आए गी राकेश की पसंद की। अच्छा अंजली कहती है। अच्छा तू क्या पहने गी शाम को मंजू पूछती है।

कुछ खास नही पिताजी ने पिछली दिवाली पर एक साड़ी लाकर दी थी मुझको सोच रही हूं वही पहन लू पहनी भी नही है अभी तक।

घर के काम करते करते दोपहर हो चली अंजली घर जाना चाहती पर मंजू ने उसे खाने के लिए रोक लिया और वही रुकने को कहा अंजली के काफी मना करने पर भी ।

खाना खा कर मंजू अंजली के साथ उसके कमरे में मंजू को तैयार करने लग जाती है। शाम हो चली थी धीरे धीरे मंजू का घर मेहमानो से भर जाता। अंजली भी घर जा कर अपने कपड़े बदल आती और इसी बहाने वो अपने पिता से भी मिल आती। 

अंजली के पोहोचने से पहले राकेश के घर वाले आ जाते है। थोड़ी देर बाद अंजली भी आ जाती है। अंजली उस गुलाबी साड़ी में खूबसूरत लग रहीं होती है। हर कोई उसकी तारीफ करता जो भी उसे देखता । राकेश भी अंजली से बाते करता दोनों एक दूसरे की तारीफ करते। अंजली मंजू के पास उसके कमरे में चली जाती । कमरे मे मोजूद औरते जो राकेश की तरफ़ से आई होती है मंजू की मां से उसके बारे मे पूछती। उसकी मां कहती ये कुछ दूरी पर रहती है बेचारी बिन मां की बच्ची है। बाप और दादी के साथ रहती है।

पण्डित जी , मुहूर्त का समय निकला जा रहा है लड़की को ले आए।
अंजली , मंजू को उसके कमरे से निकाल कर बाहर बरामदे में ले आती है। और वो दोनों एक दूसरे के नाम की अंघूटि पहन लेते है।तभी एक लड़का जो अंजली को काफी देर से देख रहा होता है। उसके चेहरे से उसकी नज़र नही हट रही होती है। वो उसे देख रहा होता है कि तभी कोई उसको आवाज़ देता है अमित, अमित कहा खो गाया हैं। तू घर से तो सही आया था तबियत तो ठीक है तेरी या मेरी सगाई मै अपनी सगाई के सपने मै खो गया । राकेश कहता है

नही भाई ऐसा कुछ नही , मौसी जी किधर है काफी देर से दिख नही रही है। अमित बात टालने के लिए कहता है। वैसे तूझे मां से क्या काम कोई लड़की तो पसंद  नही आ गई और उसके बारे में जानना हो तुमको कही तुम भी तो दिल नही दे बैठे किसी को हमारी तरह । वैसे तुम्हारे सामने ही खड़ी है मौसी और तुम्हे दिखाई नही दे रही । राकेश कहता है ।  चलो अब कुछ खा ते पीते है अमित कहता है। और वो दोनों खाने की मेज की और चले जाते है । लेकिन अमित चोरी चोरी उसे देखता । अंजली ने भी उसे इस तरह चोरी चोरी देखते हुए देख लिया । एक दो बार तो उसने जाने दिया लेकिन काफी देर बाद भी वो उसे ही देखे जा रहा होता है।

तब अंजली मंजू से कहती है ये सामने वाला लडक उसे बोहोत देर से घूरे जा रहा हैं। मंजू उसकी तरफ़ बिना देखे जाने भी दे कोई होगा गांव का या किसी रिश्तेदार का नालायक बेटा ।

अब अंजली को उसको सबक सिखाने की सूझी उसने दो लडडू बनाए जिनके अंदर हरी मिर्च भर दी और बड़े प्यार से अमित को दे आई। अमित बेचारा जो पहले ही उसका दीवाना हो चुका था बिना कुछ सोचे समझे खा लेता है । और जब उसे मिर्च लगती और उसका मूंह जलने लगता तब उसे समझ आती की उसके साथ क्या हुआ । उसने पानी मांगा तो अंजली ने उसे पानी दिया। पर जैसे ही उसने उस गिलास को पकड़ना चाहा अंजली तुरंत उसे पीछे खेच लेती।

और कहती ये मुझे बार बार घूरने की सजा है आज के बाद किसी भी लड़की को घूरने से पहले अपने साथ हुए इस वाकिया को याद करलेना अभी तो पानी दे रही हू अगर अब मुझे देखा तो बोहोत पीटूंगी। आ जाते है बिना बुलावे के सिर्फ खाना खाने । ये कह कर वो अमित को पानी देती है। अमित एक ही सास में सारा पानी पी जाता है।

लेकिन तभी वहां राकेश भी आ जाता है। अरे जीजू आप कुछ चाइए आपको। नही नही कुछ नही राकेश कहता है । ये कहकर अंजली वहा से जाने लगती है। तभी राकेश अमित की तरफ़ देखता हुआ कहता है क्या हुआ भाई आंखो से आंसू क्यू आ रहे है अभी तो विदाई में समय हे। राकेश के मूंह से अमित का नाम सुन अंजली वही रुक जाती है। और पीछे मुड़कर राकेश से अमित का पूछती है। राकेश उसे बताता है कि ये मेरी मौसी का बेटा है मेरी सगाई के लिए शहर से आया है।

ये सून की वो लड़के वालों की तरफ़ से है अंजली की बोलती बंद हो जाती और वो मन ही मन सोचती कि अगर इसने राकेश को बता दिया की इसकी ये हालत मैने की है तो भगवान जाने क्या कोहराम हो सकता है। 

राकेश अमित से दोबारा पूछता है। अमित अंजली की तरफ़ देख कर कहता है। कुछ नही भाई बस एक गलती हो गई थी उसी की सजा किसी ने बडी प्यारी दी । अंजली ये सून अपनी नजरे नीचे कर लेती है।
में समझा नही राकेश कहता है।
भाई बस एक मिर्च चली गई थी खाने में मेरे मूंह के अंदर। लेकिन तुम तो लड्डू खा रहे हो कही इसी मै तो किसी ने मिर्च भर कर नही दे दी तुमको हस्ते हुए राकेश कहता है।

ये सुन अमित अंजली की तरफ देखता अंजली भी हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखती।

नही भाई हम तुम्हारी तरह इतने खुशनसीब कहा की हमे कोई लड्डू में भर कर मिर्च खिलाए वो तो बस खाने में ही मूंह में चली गई। अमित अंजली की तरफ देख कर कहता है।

राकेश वहा से चला जाता है । तब अंजली हिचकिचाते हुए कहती है मुझे पता नही था की आप लड़के वालों की तरफ से है मुझे लगा गांव का कोई लफंगा है जिसको सबक सिखाने की जरूरत थी । मुझे माफ करदे और इस बात को किसी को मत बताना वरना मंजू और राकेश की शादी खतरे में आ जायेगी अगर उन्हें पता चल जाए की उनके एक मेहमान के साथ ये हुआ तो वो खामखा तमाशा करेंगे और शुक्रिया राकेश को भी नही बताने का । मै आप के लिए पानी लाती हूं

अमित पीछे से, रुक्ये जरा आप ने अपनी बात तो कह दी अब मेरी भी तो सुने । आप को क्यों लगता है की मैने अगर अभी राकेश को नही बताया तो क्या मैं किसी को भी नही बताऊंगा की उसके ससुराल में मेरी कितनी खातिर हुई।

उसकी बातें सुन अंजली डर जाती है और कहती तो क्या आप सब को बता दो गै। आप को अच्छा लगे गा  यू इस तरह खुशी के माहोल में भंग डालने मै ।

नही राकेश मेरा भाई है मैं उसकी खुशी को ऐसे बर्बाद नही कर सकता लेकिन मैं उसे सजा देना चाहता हू जिसने मेरी ये हालत की ।

कैसी सजा क्या चाहते हो तुम मुझसे माफ़ी मांग तो ली अब क्या पैर भी पढू। अंजली कहती है

अरे नही नही खाली माँफी से काम नही चलेगा । आप ने भी मुझे सजा दी थी अब मैं भी आप को सजा दुंगा । कैसी सजा अंजली पूछती है।

सजा ये है की आप मेरे लिए दोबारा जा कर अपने हाथ से बना कर दो लडडू लाए गी और फिर मुझे अपने हाथ से खिलाए गी ।

नहीं ये तो नही हो सकता की मैं तुमको अपने हाथ से लड्डू खिलाऊ इतने लोगो के सामने। अंजली कहती है।

चलो अच्छा फिर मैं चलता हू अमित के पिता जी को सब बताने फिर देखते है वो क्या फैसला करते है। मौसा जी।  रुक जाओ भगवान के लिए रुक जाओ मै जा रहीं हू अंजली कहती है। ये हुई ना बात 

अंजली वहा से चली जाती हैं मन ही मन उसे बुरा भला सुनाती हुई । अमित उसकी ये हालत देख मन ही मन मुस्कुराता है। थोड़ी देर बाद अंजली वहा आती है लड्डू ले कर। आ गई आधी सजा तो मिल गाए बस अब मुझे खिला और दो तो पूरी सजा मुकम्मल हो जाएगी ।

अंजली लड्डू उठाती लोगो को देखती और फिर वापस प्लेट मै रख देती । अगर किसी ने उसको उसे मिठाई खिलाते देख लिया तो उसके घर में बवाल मच जाएगा अंजली तू तो गई आज अंजली मन ही मन सोच रही होती है कि तभी अमित खुद ही वो लड्डू उठा कर अपने मूंह में रख कर कहता है।

में अपनी मर्यादा जानता हू मै तो बस आप से मजाक कर रहा था मैं जानता हू अगर कोइ भी आपको मुझे इस तरह मिठाई खिलाते देख लेता तो आपके लिए मुश्किल खड़ी हो जाती शहर में तो ये सब आम है लेकिन गांव मै इसे अच्छा नही समझते । ये सब देख ओर सुन अंजली राहत की सांस लेती और कहती आप का बोहोत बोहोत शुक्रिया आप ने मुझे बचा लिया । और मुझे माँफ कर दे मुझसे भूल हो गई थी। अंजली कहती है।

अमित आप बोहोत बहादुर लड़की हो आपने मुझे अच्छा सबक सिखाया अब किसी भी लड़की को देखने से पहले चाहे वो मेरी बहन ही क्यों ना हों आप का ये मिर्च वाला लड्डू याद आ जायेगा । ये सून कर अंजली जोर से हंसने लगाती हैं। और अमित भी। 

अमित अमित जी मौसा जी , बेटा अमित अब चलने का समय है जल्दी आ जाओ रात भी हो गई काफी घर भी पोहोचन है। आया मौसा जी।

चलो पहली मुलाकात तो तीखी रही भगवान करे दूसरी मुलाकात अच्छी हो अमित अंजली की आंखों में आंखे डालता हुआ कहता हुआ उससे विदा लेता है । अंजली भी उसे जाता देख मुस्कुराती वो उसे बार बार पलट कर देखता। अंजली भी उसे जब तक देखती रहीं जब तक वो गाड़ी में बैठ कर आखों से ओझल ना हो गया ।

मंजू मुझे भी अब इजाजत दे में भी घर जाऊ । पता नही पिताजी की कैसी तबियत है जाकर पता करू। चल अच्छा कल मुलाकात होती है और ये कह कर अंजली मंजू से विदा लेती है।


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8 Comments

Shnaya

07-Apr-2022 12:16 PM

Very nice👌

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The traveller

26-Mar-2022 01:39 AM

👌👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

15-Feb-2022 05:03 PM

बहुत खूबसूरत

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